*विज्ञान के बढ़ते चरण पर निबंध*
1 . प्रस्तावना -
वर्तमान युग विज्ञान का युग है । आवश्यकता आविष्कार की जननी है । आदिकाल से मानव को जिन - जिन चीजों की आवश्यकता होती थी । वह उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रयास करता रहा । इसी प्रयास के द्वारा नवीन आविष्कारों से विज्ञान का जन्म हुआ । वर्तमान में विज्ञान ने इतनी प्रगति की है कि इसे चमत्कार कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी । विज्ञान ने जीवन के हर क्षेत्र में आश्चर्यजनक अविष्कार करके चमत्कार उत्पन्न किया है नित प्रति होने वाले वैज्ञानिक अविष्कार नूतन क्रान्ति कर रहे हैं।2 . विज्ञान का अर्थ और अभिप्राय -
विज्ञान शब्द वि + ज्ञान दोनों शब्दों से मिलकर बना है , जिसका अर्थ है विशेष ज्ञान । वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वह धर्म , कला , राजनीति या कोई भी क्षेत्र हो विज्ञान से अछूता नहीं है । विज्ञान ने प्रकृति पर अधिकार स्थापित किया । विज्ञान के कारण मानव को अपरिमित और अदम्य शक्ति प्राप्त हुई है । महाकवि दिनकर ने कहा है “ है बँधे नर के करों में वारि , विद्युत् भाप , हुक्म पर चढ़ता उतरता है , पवन का ताप , है नहीं बाकी कहीं व्यवधान . लाँध सकता नर . सरित गिरि सिंधु एक समान ।3 . विज्ञान के क्षेत्र -
इस शताब्दी में विज्ञान ने जीवन के हर क्षेत्र में चमत्कार उत्पन्न किया है । फ्रांस , जापान , जर्मनी , इंग्लैंड , रुस , अमेरिका आदि देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में आश्चर्यजनक आविष्कार करके विज्ञान को उन्नति के चरम शिखर पर पहुँचा दिया है ।इन्हें भी पढ़ें :-
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4 . यातायात के क्षेत्र में -
प्राचीन काल में जिस क्षेत्र की यात्रा करने में महीनों लगते थे , अब उसको घंटों में पूरा कर लेते हैं । मोट र , कार , रेलगाड़ी , बस , हवाई जहाज , जहाज आवागमन के प्रमुख साधन हैं । इन साधनों ने विश्व को एक सूत्र में बाँध दिया है । ' वसुधैव कुटुम्बकम ' की कल्पना साकार हुई है । यात्रा द्रुत , सुगम , सुखद और सुरक्षित हो गई है।5 . चिकित्सा के क्षेत्र में -
विज्ञान के कारण ही मानव ने असाध्य रोगो का निदान किया है । प्राचीन काल में मामूली रोग होने पर भी व्यक्ति काल कवलित हो जाता था । अब क्षय , कैंसर , प्लेग , ह ैजा आदि संक्रामक रोगों के लिए अचक औषधियों का आविष्कार किया जा चुका है । आज विज्ञान ने मानव को वह शक्ति दी है कि वह चाहे किसी भी प्राणी के शरीर का रक्त निकालकर नया रक्त डाल दें । परखनली शिशु और पौधे पैदा करके विज्ञान ने स्वयं ब्रम्हाजी को भी चकित कर दिया है ।6 . संचार के क्षेत्र में -
विश्व के किसी भी क्षेत्र में घटित घटना को सारे विश्व में बिजली की तरह फैलने में मिनटों का समय लगता है । इस दिशा में रेडियो , टेलीविजन ने आशातीत सफलता प्राप्त की है । दूरभाष , मोबाइल , के आविष्कार ने दुनिया को छोटा बना दिया है ।7 . कृषि के क्षेत्र में -
विज्ञान के द्वारा नलकूप , ट्रेक्टर , रासायनिक खाद आदि अनेक उपकरण निर्मित किये हैं जिनके कारण उत्पादन में कई गुना वृद्धि हो गई है । फसल बोने से काटने तक का कार्य मशीनों के ही द्वारा किया जाता है ।8 . शक्ति के साधनों का विकास -
वर्तमान में भाप खनिज तेल , कोयला और बिजली ने मानव को असीमित शक्ति प्रदान की है । बिजली हमें जहाँ एक ओर शक्ति प्रदान करती है , तो दूसरी ओर रात्रि में दिन के समान प्रकाश दिया है।9 . मनोरंजन के साधन -
मनोरंजन करना मानव का स्वभाव है । चलचित्र , वीडियो और दूरदर्शन पर फिल्में शिक्षाप्रद कार्यक्रम , बाल कार्यक्रम टीवी तथा कंप्यूटर के माध्यम से देखकर सभी वर्ग के लोग अपना मनोरंजन करते हैं ।10 . अंतरिक्ष में विज्ञान -
वैज्ञानिकों ने आर्यभट्ट , भास्कर , रोहणी इन्सैट के उपग्रह अन्तरिक्ष में स्थापित कर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर दी है । मानव ने सफल चन्द्र यात्रा की है । अब मंगल और दूसरे ग्रहों पर यात्रा करने के विषय में सोच रहा है ।11 . अन्य क्षेत्रों में -
विज्ञान ने मानव जीवन को हर क्षेत्र में प्रभावित किया हैं । गैस का चूल्हा , विद्युत् चूल्हा , शीतलक ( फ्रीज ) , पंखा , कूलर , ए . सी . आदि वस्तुएँ हमारे । दैनिक जीवन हेतु उपयोगी हैं ।12 . विज्ञान एक अभिशाप -
कुछ बुद्धिजीवी विज्ञान को वरदान मानते हैं , तो कछ अभिशाप ।अंग्रेजी में एक कहावत है - “Science is a good Servant but a bad Master"
अर्थात् विज्ञान अच्छा दास है किन्तु बुरा स्वामी भी है । विज्ञान के अभिशाप और वरदान के विषय में कहा जा सकता है ।
“ घर - घर में फैला आज विज्ञान का प्रकाश ।
करता दोनों काम वह नवनिर्माण और विनाश ।"
विज्ञान ने पृथ्वी लोक को दूसरा स्वर्ग बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, फिर भी यह सत्य है कि इसी विज्ञान ने नर्क के द्वार खोल दिये हैं । मानव ने इतने शक्त िशाली अणुबम, परमाणु बम, मिसाइल बनाये हैं, जिनका मुँह केवल विनाश की ओर खुलता है । विज्ञान ने मानव को पूर्णतः भोगवादी और अकर्मण्य बना दिया है ।मानव स्वचालित यंत्रों पर इतना अधिक निर्भर हो गया है कि उसकी हस्तक्षमता बिल्कुल समाप्त हो गई है । इसने मानव को चतुर तो बनाया, किन्तु ईमानदारी नहीं सिखाई । मानव को साधन तो दिए, किन्तु सदुपयोग नहीं सिखाया । परिणामस्वरूप आज सर्वत्र अशांति, शोषण, कटुता, बेरोजगारी का साम्राज्य दृष्टिगोचर होता है ।
विज्ञान के अभिशाप के रूप में परमाणु बमों के द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी का विनाश कर दिया गया । खाडी युद्ध के दौरान प्रतिदिन जितनी विनाशलीला देखने को मिली , उतनी तो महाभारत युद्ध के दौरान भी नहीं थी । जिस विज्ञान का शैशवकाल मानवता की सुख समृद्धि के लिए था उसी की प्रौढ़ावस्था आज मानव संस्कृति को भस्म करने पर उतारू है ।
विज्ञान ने बड़ी - बड़ी मशीनों और कारखानों के द्वारा उत्पादन तो बढ़ाया है , किन्तु बेरोजगारी , स्पर्धा , अस्वास्थ्य आदि समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं । उद्योगों के केन्द्रीकरण के कारण समाज पूँजीपति और श्रमिक वर्ग में बँट गया है । इन सबके लिए विज्ञान नहीं मानव दोषी हैं । मानव की स्वार्थलिप्सा और कलुषित विचारधारा ही विज्ञान को वरदान की अपेक्षा अभिशाप करने को विवश करती है ।
वैज्ञानिक प्रगति का सबसे बड़ा अभिशाप अत्याधुनिक अस्त्र - शस्त्रों का आविष्कार है । पहले युद्धों में केवल सेना को हानि पहुँचाई जाती थी , किन्तु अब ऐसे शस्त्रों का निर्माण हो गया है , जिनसे अबोध जनता , पशुपक्षी , सारा प्राणी जगत मृत्यु के मुँह में पहुँच गया है ।
13 . उपसंहार -
विज्ञान इस पृथ्वी पर कल्पवृक्ष की भाँति अवतिरत हुआ है । इसने मानव की चिरसंचित इच्छाओं की पूर्ति की है । विज्ञान की मदद से आज चन्द्रमा का मस्तक चूमने में सफल हुआ है । पृथ्वी की परिक्रमा करके विभिन्न ग्रहों की जानकारी प्राप्त कर ली है ।निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि विज्ञान अलाउद्दीन के चिराग की भाँति सदैव मानव हित हेतु उपस्थित है । विज्ञान एक शक्ति है , जिसका उपयोग बहुत सोच समझ कर मानव कल्याण हेतु करना चाहिए ।
यदि मानव अपनी कलुषित विचारधारा का त्याग कर शुद्धभाव से विज्ञान का उपयोग करें तो वह सुख और शांति की शीतल समीर से हमारे जीवन को आनंदित करेगा और सच्चे अर्थों में वरदान साबित होगा , अतः यह कथन सटीक जान पड़ता है।
" विष्णु सरीखा पालक है , शंकर जैसा संहारक ।
पूजा उसकी शुद्ध भाव से , करो आज से आराधक। "
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