जनसंख्या विस्फोट पर लेख - Article On Population Explosion

दोस्तों आज के इस Post में आप पढ़ेंगे जनसंख्या विस्फोट (Population Explosion) पर सरल शब्दों में एक लेख हिंदी में तो चलिए प्रारम्भ करते हैं। 

Population Explosion Article in Hindi text image

जनसंख्या विस्फोट का अर्थ :- 

जनसंख्या वृद्धि की गति अति तीव्र हो जाने पर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि देश में उपलब्ध साधन देश की जनसंख्या के लिए अपर्याप्त हो जाते हैं , ऐसी स्थिति को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता हैं । जन्मदर और मृत्यु दर की तुलना के आधार पर जनसंख्या विस्फोट का आंकलन किया जाता है । जब जन्म दर तुलनात्मक रूप से मृत्युदर से बहुत अधिक हो जाती है तब जनसंख्या वृद्धि की गति अत्यधिक तीव्र हो जाती है । ऐसी स्थिति को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है ।

भारत में जनसंख्या विस्फोट ( Population Explosion in India ) :-

भारत वर्तमान में जनसंख्या विस्फोट की अवस्था . से गुजर रहा है । भारत की जनसंख्या सन 1947 ई . से सन 1991 ई . तक के 44 वर्षों में ढाई गुनी हो गई है । भारत की जनसंख्या में इस शताब्दी के पहले 20 वर्षों में केवल 1.3 करोड़ की वृद्धि हुई । 1921 में भारत की जनसंख्या 25.12 करोड़ थी जो कि 1971 में बढ़कर 54.79 करोड़ और सन् 2001 में 102.7 करोड़ हो गई है । स्पष्ट है कि हाल के वर्षों में भारत की जनसंख्या अत्यधिक तेजी से बढ़ी है । जननांकिकीय संक्रमण सिद्धांत के अनुसार जनसंख्या वृद्धि की तीन अवस्थाएँ पायी जाती है ।


  • पहली स्थिति में जन्म और मृत्यु की दर दोनों अधिक होती है। 
  • द्वितीय स्थिति में मृत्यु दर कम होती है किन्तु जन्मदर में वृद्धि जारी रहती है। 
  • तीसरी अवस्था में जन्मदर और मृत्युदर दोनों में कमी आती है जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि में तेजी से कमी आती है ।

   1921 में भारत में जन्मदर 48.1 तथा मृत्युदर 42.6 प्रति हजार थी । 1971 में यह दर क्रमशः 41.1 तथा 18.9 प्रतिहजार हो गयी । स्पष्ट है कि इन वर्षों में जन्म दर की तुलना में मृत्यु दर में कमी आयी थी जिससे जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई । 1971 के बाद के वर्षों में जन्मदर में भी कमी देखी गयी है । 2001 की जनगणना के अनुसार जन्मदर 26.1 तथा मृत्युदर 8.7 प्रति हजार थी । जन्मदर में कमी से ही भारत जनसंख्या विस्फोट की स्थिति से उबर सकता है।

जनसंख्या विस्फोट के कारण :- 

जन्म दर व मृत्यु दर की प्रवृत्तियों के अध्ययन से ही स्पष्ट है कि भारत में जनसंख्या में वृद्धि का प्रमुख कारण ऊँची जन्मदर है । भारत में ऊँची जन्म दर के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी है : -

( 1 ) विवाह की अनिवार्यता : - 

भारत में सामाजिक एवं धार्मिक दृष्टि से विवाह एक आवश्यक संस्कार माना जाता है । विवाह को संतान उत्पत्ति के लिए आवश्यक माना जाता हैं । विवाह करके संतान उत्पन्न करना यहाँ हर व्यक्ति के लिए आवश्यक माना जाता है।

( 2 ) बाल विवाहः- 

सामाजिक चेतना एवं शिक्षा के प्रसार से यह प्रथा कुछ कम हो गयी है । किंतु यह आज भी देश में विद्यमान है । हमारे देश में शिक्षित परिवारों को छोड़कर सामान्यतः लड़कियों का विवाह पन्द्रह वर्ष की आयु से पूर्व ही कर दिया जाता है । जिससे उसका संतानोत्पादक काल अधिक होता हैं , जिससे वे अधिक बच्चों को जन्म भी देती हैं।

( 3 ) धार्मिक और सामाजिक अंध विश्वास : - 

भारतीय जनता संतान को ईश्वरीय देन मानती है तथा उसमें किसी तरह का हस्तक्षेप करना सही नहीं मानती है। जिसके फलस्वरूप जन्मदर अधिक रहती है।

( 4 ) संयुक्त परिवार प्रथा : - 

भारत में संयुक्त परिवार प्रणाली में परिवार का आर्थिक दायित्व सम्मिलित रूप से सभी सदस्यों पर रहता है। इसलिए लोगों में उत्तरदायित्व की भावना की कमी रहती है और वे अन्धाधुन्ध संतानोत्पत्ति करते जाते हैं।

( 5 ) निर्धनता : - 

भारत की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग निर्धन लोगों का है। गरीब व्यक्ति को यह आशा रहती है कि उसके बच्चे उसके साथ काम करके आय में वृद्धि करेंगे।

( 6 ) संतान निरोधक की कमी : - 

भारत में संतान निरोधक विधियों का प्रयोग सीमित है । इसका प्रमुख कारण अज्ञानता और साधनों का महँगा होना है । इन उपायों के अभावों में हमारे देश में सन्तानोत्पत्ति की दर अधिक है , जो जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण है।

( 7 ) घटती मृत्यु दर : - 

देश में अनेक कारणों से मृत्यु दर में कमी हो रही है । मृत्यु दर में कमी आने से लोगों की औसत आयु बढ़ जाती है । भारत में मृत्युदर में कमी आने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं : -

 * स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में वृद्धि :- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से संबंधित सुविधाओं में क्रमशः वृद्धि होने से मृत्यु दर में कमी आयी है । शिशुओं और माताओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता से शिशुओं की मृत्यु दर में कमी आयी है ।

 * स्त्रियों में शिक्षा : - स्त्रियों में शिक्षा के प्रसार के परिणामस्वरूप उनके द्वारा शिशुओं के स्वास्थ्य की उचित देखभाल से मृत्यु दर में कमी आयी है ।

 * न्यूनतम विवाह आयु में वृद्धि :- बाल विवाह के कारण पहले शिशु और मां दोनों की मृत्यु दर अधिक थी । विवाह की आयु में वृद्धि से इनकी मृत्यु दर में कमी आयी है ।

 * अकाल और महामारियों में कमी :- देश में पिछले कई दशकों से भीषण अकाल और महामारियों का सामना लोगों को नहीं करना पड़ा है । जिससे मृत्यु दर में कमी आयी है ।

 * अन्य कारण : - इन कारणों के अतिरिक्त कुछ अन्य कारण भी जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदायी हैं ।


  • गर्म जलवायु के कारण भारतीय स्त्रियों की प्रजनन शक्ति अधिक हैं । 
  • शिक्षा के अभाव में " दूधो नहाओ , पूतो फलों " जैसे सिद्धांतों को बढ़ावा मिलता है , जो जन्मदर वृद्धि के लिए उत्तरदायी हैं । 
  • अनेक बार पड़ोसी देशों से शरणार्थियों के रूप में या अनधिकृत रूप से बड़ी संख्या में लोगों की घुसपैठ से भी जनसंख्या बढ़ती है । 

जनसंख्या विस्फोट के परिणाम ( Consequences of Population Explosion ) :- 

जनसंख्या विस्फोट के परिणाम निम्नलिखित हैं :- 


( 1 ) कृषि क्षेत्र में : - 

जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप कृषि क्षेत्र में भूमि का विभाजन अधिक होने लगा है । कृषि भूमि में उन्नत खेती में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं । 

( 2 ) खाद्यान्न की समस्या : -

जनसंख्या में वृद्धि के कारण खाद्यान्न की कमी होने लगती है । कृषि क्षेत्र के अधिकांश उत्पादन खाद्यानों के रूप में होने लगता है । जिससे अन्य कृषि उपजें जो व्यापारिक उपयोग में लायी जा सकती हैं उनका उत्पादन कम हो जाता है ।

( 3 ) रोजगार की समस्या : - 

जनसंख्या की अधिकता से रोजगार की कमी होने लगती है । भारत में तीन करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हैं ।

( 4 ) प्रतिव्यक्ति आय :-

जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण प्रतिव्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि दिखायी नहीं देती । यद्यपि राष्ट्रीय आय में आशातीत वृद्धि हुई है ।

( 5 ) गृह , स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र की समस्याएँ : - 

जनसंख्या वृद्धि की दर अनुरूप गृह , स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में वृद्धि नहीं होने के कारण मूलभूत आवश्यकताओं में कमी आ जाती है ।

( 6 ) उपभोक्ता वस्तुओं में कमी :-

जनसंख्या वृद्धि के कारण उपभोक्ता वस्तुओं की कमी हो जाती हैं । मांग बढ़ने के कारण मूल्य वृद्धि होने लगती हैं । विकास योजनाओं का मूल्य बढ़ने लगता है । जिससे जनसामान्य की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है ।

( 7 ) अन्य समस्याएँ : -

जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी बढ़ने और मंहगाई बढ़ने के कारण अनेक सामाजिक समस्याएँ पैदा होने लगती हैं । चोरी , डकैती , व्यभिचार जैसी आपराधिक गतिविधियाँ बढ़ने लगती है । जनसंख्या वृद्धि देश के आर्थिक विकास में भी बाधक होती हैं । कृषि योग्य भूमि पर जनसंख्या का दबाव बढ़ता जा रहा है । जिससे कृषि भूमि कम होने लगती हैं । बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए परिवहन और संचार के साधनों की पूर्ति करना बहुत बड़ी समस्या है । ऊर्जा के स्त्रोतों पर भी जनसंख्या वृद्धि का दबाव बढ़ता जा रहा है ।

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जनसंख्या विस्फोट का उपचार ( Remdies of Population Explosion ) :-

जनसंख्या विस्फोट की समस्याओं का समाधान निम्नलिखित दो उपयों से किया जा सकता है :-
  • जन्मदर में नियंत्रण करके। 
  • देश का आर्थिक विकास करके। 

( 1 ) जन्मदर में नियंत्रण करके :- 

जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जन्मदर में नियंत्रण करना अति आवश्यक होता है । जन्मदर को नियंत्रण करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं -

  • शिक्षा का प्रसार : - जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए लोगों को शिक्षित किया जाना अतिआवश्यक है । शिक्षित व्यक्तियों में सीमित परिवार रखने की प्रवृत्ति अधिक होती है । 

  • विवाह की आयु में वृद्धि :- तेजी से हो रही जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए विवाह की आयु को बढ़ाया जाना आवश्यक उपाय है । इस समय विवाह की न्यूनतम आयु लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष है । ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि लड़कियों की विवाह की आयु 20 वर्ष कर दी जाए तो जन्मदर में उल्लेखनीय कमी आ सकती है । 

  • परिवार कल्याण कार्यक्रम : - बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए परिवार कल्याण कार्यक्रमों को जनता के अधिकांश भाग तक पहुँचाने की आवश्यकता है । इसके लिए संचार माध्यमों के द्वारा इन कार्यक्रमों को गाँव - गाँव तथा जन - जन तक पहुंचाया जाना चाहिए । ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षा के कारण जन्मदर अधिक होती है । इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बन्ध्याकरण शिविर लगाया जाना चाहिए । आधुनिक तकनीकों के जानकार , चिकित्सक एवं गर्भनिरोधक साधनों को जनसाधारण को उपलब्ध कराया जाना चाहिए । 

  • गर्भपात की सुविधाएँ : - भारत में सुरक्षित गर्भपात के आवश्यक अस्पताल और नर्सिंगरूम की संख्या में वृद्धि की आवश्यकता है । इसके द्वारा जन्मदर में कमी की जा सकती हैं । 

  • विशिष्ट योजनाओं के द्वारा : -जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अनेक शासकीय योजनाओं के द्वारा लोगों को सीमित परिवार रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है । शासन द्वारा दी जाने वाली अनेक सुविधाओं से जनता को जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रोत्साहित करके जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सकता है । 

( 2 ) देश का आर्थिक विकास करके :- 

देश का आर्थिक विकास करके बढ़ी हुई जनसंख्या के प्रभाव को कम किया जा सकता है । इसके लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं ।

  • कृषि क्षेत्र में सुधारात्मक उपायों को अपनाकर उत्पादकता में वृद्धि के प्रयास किए जाने चाहिए । 
  • औद्योगिक ढांचे को उन्नत बनाकर देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है । 
  • संचार साधनों और परिवहन सुविधाओं को बढ़ाकर देश की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है । 
उपरोक्त उपायों के द्वारा आर्थिक विकास के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों को कम किया जा सकता है । गरीबी और अशिक्षा जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण है । आर्थिक रूप से संपन्न और शिक्षित लोग जनसंख्या वृद्धि के प्रति जागरूक रहेंगे ऐसी आशा की जा सकती है ।

जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदम :- 

देश की जनसंख्या को आकार एवं संरचना ' की दृष्टि से सुनियोजित तरीके से किस प्रकार आत्मसात किया जाए , जिससे देश का आर्थिक विकास भी हो साथ ही राष्ट्रीय आय तथा प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि भी हो । इसके लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय जनसंख्या नीति बनायी गयी है जिसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं : -

( 1 ) पूर्ण स्वैच्छिक : - 

परिवार नियोजन कार्यक्रम पूर्णतः स्वैच्छिक कार्यक्रम के रूप में चलाया जाएगा और यह व्यापक नीति का अभिन्न अंग रहेगा ।

( 2 ) राज्यों को केन्द्रीय सहायता : -

राज्यों की योजनाओं को केन्द्रीय सहायता , करों और शुल्कों का हस्तांतरण , सहायता स्वरूप अनुदान जैसे मामलों के लिए सन् 2001 तक 1971 की जनसंख्या संबंधित आंकड़ों को ही आधार माना जाएगा । यह व्यवस्था सन 2001 तक रहने का प्रावधान था परंतु वर्तमान समय में भी जारी है ।

( 3 ) न्यूनतम विवाह योग्य आयु : -


 जनसंख्या नीति के अनुसार सरकार ने लड़कियों की विवाह आयु 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष तथा लड़कों की 18 वर्ष से बढ़ा कर 21 वर्ष कर दी ।

( 4 ) नकद प्रोत्साहन : - 

परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत नसबंदी करवाने वाले व्यक्तियों को नकद राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान की जाती है ।

( 5 ) समूह अभिप्रेरणा : -

पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा परिवार नियोजन के लिए अनेक तरह के प्रोत्साहन दिए जाते हैं ।

( 6 ) प्रचार माध्यमों का उपयोग : -

सही तरह के प्रचार माध्यमों का उपयोग परिवार नियोजन के लिए लोगों को जागरूक बनाने के लिए किया जाता है ।

( 7 ) शिक्षा पर जोर : -

बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति बालक बालिकाओं को जागरूक बनाने हेतु ऐसे पाठ्यक्रम को पाठ्यपुस्तक में रखा गया है जिससे वे स्वयं की इस दिशा में जिम्मेदारियों को समझें साथ ही लड़कियों की शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है ।

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