रेल यात्रा पर निबंध ( jurny By Train )

रेल यात्रा  (jurny by train)

              ट्रेन से यात्रा एक सुखद अनुभव है।  दो साल पहले, मैं अपने JEE MAINS की पढाई के लिए भिलाई के लिए मै और मेरे पापा ट्रैन से निकले ट्रैन में हमारे साथ 2 बैग और एक सूटकेस था जिसमे कुछ किताब और  जरुरत के सामान थे।  मेरा पहला ट्रैन यात्रा लोकल ट्रैन में था।  जब मै पहली बार रेलवे स्टेशन में गया तो देखा वहाँ पर अलग अलग शहर से यात्री ट्रैन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। हमने अपनी ट्रैन की टिकट कटा कर ट्रैन का इंतज़ार कर रहे थे।आखिर कार समय से 15 मिनट लेट हमारी ट्रैन 9 :45  तक आया।  हम बहोत ज्यादा थक चुके थे।

journy By Train text image in hindi

रेल यात्रा  (jurny by train)

                 लेकिन जब ट्रैन आया तब सभी यात्री भाग भाग के सीट खोजते थे।  ट्रैन में भीड़ बहोत ज्यादा था।  जैसे तैसे 2 सीट हमें भी मिल ही गया। चलो पहले से  कुछ आराम था।  लेकिन जो भी हो मै अपना पहला ट्रैन यात्रा कभी नई भूल सकता।  ट्रैन में मुझे रात भर नींद नहीं आई। ट्रैन में बैठने के बाद ऐसा लग रहा था की ट्रैन एक ही जगह पर खड़ी है लेकिन हमारे गति का पता तब चला जब मै ट्रैन से बहार खिड़की से झांक के देखा। 

रेल यात्रा  (jurny by train)

               हमारे  बगल वाले सीट पर एक लड़के से परिचय हुआ तो बात करते करते पता चला की वो भी भिलाई कोचिग के लिए ही जा रहा था।  हमारा दोस्ती हुआ उनसे और रात भर बात करते करते समय का पता ही नहीं चला और देकते ही देकते सुबह के 5 बज गए।  सूरज की किरणे दिखाई देने लगा फिर सुबह का खूबसूरत नजारा बहोत अच्छा लगा।  मैंने खुद को प्रकृति की भव्य सुंदरियों के बीच पाया।  बड़े - बड़े पुल के ऊपर से जब ट्रैन गुजरती थी तब डर भी लगता था और वो सीन देकने का प्यारा अनुभव इन शब्दों में कैसे बयान करू समज नई आ रहा।  

रेल यात्रा  (jurny by train)

                फिर लगभग 7  बजे बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहोचे।  वहाँ चाय और नास्ता बेचने वालो की लाइन लग गई। हम ट्रैन में ही ब्रश किये और चाय पिए फिर ट्रैन रायपुर होते हुए भिलाई के लिए रवाना हुई। उसी समय जब सामने से दूसरी ट्रैन आ रही थी और जब ट्रैन गुजरी तब मुझे लगा की हम कितने तेज गति से चल रहे हैं।  पर वहॉं मैं गलत था वहाँ बाजु में एक अंकल बैठे थे उन्होंने बताया की हमारी स्पीड इतनी नई है जितनी आपको लग रही है। 
                फिर समझाए की ये जो स्पीड लग रहा है वो दोनों ट्रैन का मिला के है मतलब  हमारे ट्रैन जिसपर हम बैठे हैं और सामने वाले ट्रैन की गति जुडी हुई है।  पर मुझे इस बात का अनुभव तब हुआ जब कोचिंग में गति वाला पाठ हमारे सर पढ़ा रहे थे।  

रेल यात्रा  (jurny by train)

                  इसी प्रकार बातो बातों में हम भिलाई पहोचने ही वाले थे।  कुछ देर बाद लगभग 9 बजे भिलाई रेलवे स्टेशन पहोचे और ट्रैन ठीक से रुका नहीं था की वही कुछ यात्री उतरने लगे।  उनमे से एक लड़का था करीब 22 -24  साल का जो पीछे की ओर गिर पड़ा। तभी एक अंकल जो कुछ देर पहले भौतिक के स्पीड वाला पाठ पढ़ा रहे थे , अब भौतिक के जड़त्व का भी नियम पढ़ाने लगे।  तब मुझे 11 वीं का याद आने लगा।  और तब पता चला  की घर से निकलने बाद हमें कितना कुछ सिखने को मिलता है।  

         जो भी हो मै अपनी पहली रेल यात्रा कभी नहीं भूल सकता। ट्रैन यात्रा काफी अच्छा अनुभव रहा। 


दुआ है की आपकी रेल यात्रा भी मंगलमय हो ....!

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