वन संरक्षण पर निबंध

प्रस्तावना - 

वन हमारी भारतीय संस्कृति के उभायक रहें हैं । प्राचीनकाल में मनुष्य प्रकृति के संरक्षण में अपने जीवन मूल्यों को आलोकित व पल्लवित करता था और इसीलिए वन हमारी आध्यात्मिक व भौतिक उभति के आधार स्तंभ रहें हैं । मनुष्य वृक्षों 1 कहाँ भी गया है कि , ' वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखें , नदी व पीवै नीर । परमारथ के कारणे साधु धरा शरीर ।। ' त्याग , परोपकार , विनम्रता और एकता की शिक्षा ग्रहण करता है ।

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वनों से लाभ -

वनों से हमें कई लाभ है किंतु प्रमुख रूप से इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है
  • 1. प्रत्यक्ष लाभ। 
  • 2. अप्रत्यक्ष लाभ। 
वनों से जड़ी - बूटी , औषधियाँ , फर्नीचर बनाने व ईंधन हेतु लकड़ियाँ प्राप्त होती है । वनोपज से अनेक लघु व कुटीर उद्योग चलते है , वन्य प्राणियों को जीवनाधार है ये वन । नैसर्गिक सौंदर्यानुयगी मनुष्यों के लिए ये पर्यटन का माध्यम भी है । अप्रत्यक्ष रूप से देखें तो ये वन वातावरण के तापक्रम को नियंत्रित करने व संतुलन बनाए रखने में सहायक है । मरूस्थल के प्रसार को रोक बाढ़ नियंत्रण में सहायक होते हैं ।

वनों की कटाई व उसके दुष्परिणाम -

मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए अंधाधुंध वनों की कटाई कर रहा है जिसके कारण वर्षा प्रभावित हो रही है । प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है जिसका भयंकर परिणाम अपने विभिन्न रूपों में आज हमारे सामने हैं । भूमि की उर्वरा शक्ति का क्षरण हो रहा है व दिनोंदिन जलवायु गर्म हो रही है । वायु प्रदूषण बढ़ रहा है , जल स्तर कम हो रहा है और मरूभूमि का प्रसार हो रहा

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वन संरक्षण की आवश्यकता - 

वन - संरक्षण आज हमारी प्रथम आवश्यकता बन गई है क्योंकि वृक्ष ही जल है , जल ही अन्न है , और अन्न ही जीवन है । विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए वनों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है अन्यथा अनावृष्टि , अतिवृष्टि , अकाल , इत्यादि विषमताएँ हमारे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है । अभ्यारण्यों को बनाना उनकों विकसित करना व संरक्षण प्रदान करना ये पर्यटन द्वारा भी वन हमें आर्थिक लाभ पहुँचाते हैं । प्रत्येक देशवासी का यह कर्तव्य है कि वह वनों का संरक्षण करें और संकल्पित हों कि वृक्षों का सहेजेंगे । वृक्षारोपण करें यह हमारे जीवन का आधार हैं । पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने भी कहा था कि -

" उगता हुआ वृक्ष उभरते हुए राष्ट्र का प्रतीक है । "

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